सृजन- एक नई सोच का

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आशा अपनी कॉलोनी के पार्क में बैठी किताब पढ़ रही थी और सुहानी शाम का आनंद ले रही थी। पास ही निकुंज, उसका 7 वर्ष का बेटा, अपने दोस्तों के साथ खेल रहा था। आशा बीच-बीच में किताब से नज़रें हटाकर निकुंज पर ध्यान देती फिर किताब पढने लगती। अचानक से उसके कंधे पर किसी … Read more