# कहानी
क्यूँ हम अपने दुःख के बारे में ज्यादा और खुशियों के बारे में कम बात करते हैं ? क्यूँ ये नहीं समझते कि मरने से पहले जीना नहीं छोड़ना चाहिये ?आस पास या चलते फिरते जहाँ भी देखो, दुनिया में दुखी और ग़मगीन चेहरे ज्यादा दिखाई देंगे, पर बिना वजह हल्की सी मुस्कराहट बिखेरता कोई शख्स कम ही दिखाई देता है l
इन्ही विचारों में खोई काव्या अपनी सीट पर बैठी अपना नंबर आने की प्रतीक्षा कर रही थी l
नंबर-२३
चिट को फिर से समेटते हुए उसने अपने पास की सीट में बैठे एक बुजुर्ग से पूछा, “अंकल, अभी कौन सा नंबर है? आपका नंबर कितना है? आपको बोरिंग नहीं लग रहा यहाँ एक जैसे पोज़ में बैठे बैठे l मुझ तो बहुत अजग हो रही है l” काव्या ने एक ही सांस में सवालों, जवाबों और बातों की बौछार सी कर दी l
बुजुर्ग ने उसकी तरफ उदासीनता से देखते हुए कड़े शब्दों में जवाब दिया, “मुझे नहीं मालूम, उधर डॉक्टर के असिस्टेंट से पूछ लो l”
काव्या बेचारी चुपचाप बैठ गयी l वो पहली बार कैंसर रेडिएशन सेण्टर में नहीं आई थी l नागपुर में उसका रेडिएशन शुरू हुआ था पर उसके पति चाहते थे कि अच्छी से अच्छी जगह उसका इलाज हो इसलिए इसी महीने वो दोनों मुंबई आये थे l यहाँ उन्हें रहने की भी कोई तकलीफ नही होनी थी l बेटे की इंजीनियरिंग की पढाई के लिए एक फ्लैट पहले से ही लिया हुआ था l
काव्या को स्तन कैंसर हुआ था l पर वो उन चंद विरलों में थी, जिनके चेहरे पर हमेशा ख़ुशी, मुस्कुराहट दिखती थी l जीवन जीने का उसका अंदाज ही निराला था l हर एक चीज़ को जानने की बच्चों जैसी उत्सुकता , दिल खोलकर हँसना और बातें करना, किसी भी पार्टी की जान हुआ करती थी l
१० मिनट से ज्यादा चुप बैठ ही नहीं सकती वो l जब कोई उससे पूछता,“ कितनी बातें करती हो तुम l थोड़ी देर तो चुप हो जाओ l”
उसका एक ही जवाब होता,“ मैं न १० मिनट से ज्यादा चुप रहती हूँ तो मेरे पेट में कुछ-कुछ होने लगता है l फिर मुझे कुछ खाने को चाहिए l” उसका ये कहना होता और सबका ठहाका लगाना l
काव्या ने चारों तरफ नज़रें घुमा कर देखा l करीबन ६० लोग तो होंगे l रेडिएशन सेंटर का वो वेटिंग-रूम खचाखच भरा हुआ था पर फिर भी श्मशान जैसा सन्नाटा l इस माहौल ने उसे सोचने पर मजबूर कर दिया l
तभी पास बैठी बुजुर्ग महिला ने बोला, “मेरे पति की तरफ से मैं माफ़ी मांगती हूँ बेटी l मैं मिसेज़ शर्मा l मेरे पति को मुँह का कैंसर है पिछले २ सालों से इस बिमारी ने इन्हें तोड़ के रख दिया है l न किसी से बात करते हैं न ही हँसते मुस्कुराते हैं l”
“आंटी, कैंसर मुझे भी है l इलाज मेरा भी हुआ l उस दर्द को मैं अच्छी तरह समझती हूँ l पर आंटी सीधा सा फंडा है मेरा, Don’t forget to live before you die. यानि मरने से पहले जीना नहीं छोड़ना l हम ज़िन्दा हैं, अपनी बिमारी से लड़े हैं l इसका मतलब ही ये है कि हम अपनी परेशानियों, बीमारी और दर्द से कहीं ज्यादा मजबूत हैं l मैंने तो हार मानना कभी सीखा ही नहीं आंटी और माफ़ कीजियेगा,” काव्या ने जानबूझ के जोर से शर्मा जी को सुनाते हुए कहा, “मुझे न सूमड़चंद जैसे मुंह लटका के आहें भरना नहीं आता l मेरी तो हंसी ही निकल जाती है l”
अब तक उस कमरे की हर नज़र काव्या पर थी और उसके शब्द सबके दिलों में अमृत का सा प्रभाव दे रहे थे l “अरे जब ज़िन्दा हैं तो सही मायने में ज़िन्दा रहे न! खुश रहें, बातें करें, फिल्में देखें, नहीं क्या?”
नंबर-२३
ये लो जी, मेरा कॉल आ ही गया l चलिए आंटी बाकी बातें कल करेंगे l” ये कहकर काव्या तो वहां से चली गयी, इस बात से अनभिज्ञ कि उसकी बातें कितनों को ज़ीवन जीने का सही दृष्टिकोण समझा चुकी है, हर एक पर एक अमिट छाप छोड़ चुकी है l
अगले दिन काव्या जैसे ही रेडिएशन सेण्टर पहुंची l मिसेज़ शर्मा ने उसे इशारे से अपने पास बुलाया l “अपनी बगल की सीट तुम्हारे लिए रोक के रखी थी मैंने l तुम्हे बहुत ज़रुरी बात बतानी है l”
“थैंक्यू आंटी l बताइए न क्या बात? काव्या ने बच्चों जैसे अंदाज़ में पूछते हुए मिसेज़ शर्मा का हाथ पकड़ लिया l
“कल तो चमत्कार हो गया l अपनी बिमारी के बाद पहली बार इन्होने अपनी बिमारी के अलावा किसी और चीज़ के बारे में बात की l मेरे लिए गजरे लेकर आये और पान भी,” मिसेज़ शर्मा की आँखों में एक अलग सी चमक थी l “सिर्फ तुम्हारे बारे में बाते कर रहे थे l प्लीज़ इनके साथ तुम रोज़ बातें किया करो l अगर तुम्हारी बातों से ये खुश रहना सीख जायेंगे, कुछ समय के लिए ही सही पर अपने जीवन का आनंद लेंगे, तो मुझे और कुछ नहीं चाहिए l
काव्या की आँखों में नमी आ गयी l उसे पता नहीं था कि उसकी बातें क्या कमाल कर चुकी थी l काव्या ने अपने अंदाज़ में ही जवाब दिया, “अरे आंटी ! नेकी और पूछ पूछ l आपने तो मेरे मन की बात छीन ली l मैं तो जब भी चुप रहती हूँ न, तो मेरे पेट में कुछ कुछ होने लगता है l फिर मुझे कुछ खाने को चाहिए l” ये कहकर वो जोर से हंसने लगी और तुरंत उसे ख़याल आया कि वो कहाँ बैठी है l नज़रें उठा कर देखा तो हर एक के चेहरे पर बड़ी सी मुस्कराहट थी और शर्मा जी की हंसी तो रुक ही नहीं रही थी l
“कल आप सबके लिए नाश्ता बनाकर लेके आउंगी”,काव्या ने कहा l
“क्यूँ बहनजी, आपका जन्मदिन है क्या ?”
“मेरा नहीं ! आप सबकी हंसी का l” काव्या ने मुस्कुराते हुए एलान किया l
और फिर वो रेडिएशन सेण्टर एक उत्सव हॉल में बदल चुका था l
दोस्तों, ये कहानी मैंने अपने ही किसी परिचित के ज़ीवन से प्रेरित होकर लिखी हैl अगर पसंद आये तो बताइयेगा ज़रूर l ऎसी कहानियों से कोई एक बुझा इंसान भी फिर से खिल जाए, तो मैं समझूँगी इस कहानी का लिखना और पढना सार्थक हो गया l
मरने से पहले जीना नहीं छोड़ना,
प्रियंका
Also published & highly appreciated on Momspresso
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जिन्दगी का एक एक पल जीने के लिए है। मुस्कुराते हुये जियो। यह priyanka से बढकर और किस से सीखने को मिलेगा।
We are proud of you.
और मैंने आपसे सीखा l
प्रियंका तुमने जो भी लिखा है वह शत् प्रतिशत सही है अौर यह सभी पर लागू होता है।जितने दिन की जिन्दगी है उसे हंस खेल कर जिंदा दिल से जिना चाहिए।कल किसने देखा है
बिलकुल सही l
Priyanka di you are very inspiring
💕💕
Priyanka love you…
बहुत अच्छी और प्रेरणा दायक कहानी
बहुत लोगों को जीवन जीना सीखा देगी
Love you
I know 2 beautiful people, who live life- King size. One is elder to me and other younger.
One is who you wrote about and other the writer herself. God Bless.
Thank you. Love u
Pinki di u inspire many of us.Proud of u.
Thank you
Very Beautiful and inspiring story.. God bless you..🌹
Thank you so much for your appreciation.
Beautifully projected, n very nicely written, keep it up dear friend 👍
Thanks dear. It means a lot.
Di really… It’s very true.. Slowly in our life v all r getting so tensed about each and every matter that v are stop living our life it’s really inspiration .. Loved it
Thanks dear. That’s so true. We have forgotten the most important thing to do in life and that is ‘to live’.
Very inspiring one
Actually we should live life to the fullest
But we just living it
Thanks for your comment. That is so true. The essence of life is to live and feel alive every moment.
बहुत ही प्रेरक कहानी।
आम आदमी अपनी छोटी छोटी समस्याओं (?) से बिन बात ही परेशान रहने की आदत पाल चुका है। हम अक्सर यही देखते हैं कि हमारे पास क्या नहीं है, काश कभी ये भी देखें कि कितना कुछ है हमारे पास।
सरल शब्दों में सुन्दर चित्रण। बधाई
Really very inspirational truth…”to live before v die..”short but a boosting story which hav made all of us to think again ..how to live our lfy.Thnak you …n gud luck di.. congratulations di