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जीवन क्या है ?

जीवन क्या है?
विपदाओं और सुयोग का जोड़ घटाव ही जीवन है ।
शैशव, यौवन, व्यस्क, प्रौढ़ की पेड़ी चढ़ता जीवन है ।
संघर्षों में आशाओं को बांधे रखना जीवन है ।
निराशाओं के मेघ घनेरे, पग-पग मिलना जीवन है ।
आत्मबल की तपती किरणों से भेद निकलना जीवन है ।

जो भेद कर निकल गए, तो जीवन सरल है ।
निज आचरण को न खोएं, तो जीवन सरल है ।
फल की चाह न हो, तो जीवन सरल है ।
संतोषी हो मन, तो जीवन सरल है ।

अपनी मुस्कुराहट से बुझे दिलों को सहलाना ही जीवन है ।
समय रेत के एक एक कण को जी पाना ही जीवन है ।
धुप-छाँव से सुख-दुःख, उनको अपनाना ही जीवन है ।
डूबें-उबरें तरें-तारें, खेल खिलौना जीवन है ।
कर्मों की तपती पगडण्डी से मोक्ष द्वार दिखाता जीवन है ।

कर्म यूँ करते रहें, तो जीवन सरल है ।
प्रेम जो मिलता रहे, तो जीवन सरल है ।
सुख-दुःख जो बाँट पायें, तो जीवन सरल है ।
मुस्कुराएं, तो जीवन सरल है ।

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© Priyanka Kabra

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